उम्र 24 का
24 साल उम्र समाप्त होने के बाद समझ आया है कि जीवन में सबसे ज्यादा जरूरी पैसा है। ना दोस्त, ना परिवार, ना घर, ना द्वार, कोई भी ज्यादा जरूरी नहीं है पैसे के सामने। पहले मैं सोचता था कि पहाड़ तोड़ दूंगा, आसमान चीर दूंगा, यह कर दूंगा वह कर दूंगा लेकिन जैसे-जैसे उम्र बीताता गया सब कुछ कठिन सा लगने लगा। जिंदगी बड़ा ही अजीब अजीब इम्तिहान लेती है। फिर एक वक्त के बाद समझ में आया कि जीवन में कुछ करने के लिए बहुत ज्यादा मेहनत करने की आवश्यकता है और वही मेहनत मैंने अपनी जिंदगी में कभी कि नहीं। और उसी का नतीजा आज भुगत रहा हूं कि आज हमारे पास न कोई ढंग का काम है ना हमारे पास ढंग के पैसे हैं। इस उम्र में पढ़ने का भी दिल करता है तो पढ़ नहीं पाता। जीवन के इस मोड़ पर खड़ा हूं कि समझ में नहीं आ रहा है कि इस गली में जाऊं या उस गली में जाऊं,अब तो बस श्रीराम का ही भरोसा है ख़ैर देखते हैं आगे कहां तक जा पाते हैं या जी पाते हैं,🙃 यश केशव 🍃