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संघर्ष ⚕️

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 संघर्ष में जीवन है या जीवन में संघर्ष समझ ही नहीं आता। अपने कमरे में बैठा हूं। बिजली नहीं है। कमरे में मकड़ियां दौड़ रही है और दो छिपकलियां आपस में लड़ रही है। कमरे के दोनों खिड़कियां खुली हुई है। खिड़की से गर्म हवा कमरे में प्रवेश कर रही है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे बाहर किसी ने आग लगा दी है। गर्मी दस्तक दे दी है। मन में कई उलझने लिए अपने बिस्तर पर लेटा हूं। माता-पिता की बहुत याद आती है। जिंदगी में कुछ बड़ा कर दिखाने की लालसा में अपनी उम्र का गला घोंटे जा रहा हूं। बिना माता-पिता के जिंदगी गुजारना जहन्नुम में जिंदगी गुजारने के बराबर होता है। आप उस वक्त अपनी जिंदगी का असली चेहरा देखते हैं, जब बिस्तर पर बीमार लेटे आप मर रहे होते हैं, और आपको पानी देने वाला भी आपके पास कोई नहीं होता। मेरी जिंदगी बड़ा निर्दय है। हर वक्त हमसे रूठी रहती है। मैं अपने किस्मत पर घमंड करता हूं क्योंकि मैं आज तक अपने जिंदगी में जो कुछ भी चाहा है मुझे वो हासिल नहीं हुआ। मैं जानता हूं मुझे कोई नहीं पूछता। मैं जानता हूं कि मुझसे कोई बात नहीं करना चाहता। मैं जानता हूं कि मेरी कोई इज्जत नहीं करता। मैंने जिंदगी को...