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Showing posts from August, 2018

माँ

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ऐ पगली सोच समझकर बर्बाद करना मुझे, बहुत प्यार से पाला है मेरी माँ ने मुझे !!

Shoha na tha

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ये सोचा न था … दिल यु उदास हो जाएगा खुद से ये सोचा न था … मंजिलो पे चल के हताश हो जायेगा ये सोचा न था … पास नजर आती मजील दूर हो जाएगी ये सोचा न था … साथ जो देती थी राहे इस कदर जुदा हो जाएगी ये सोचा न था … वादे किये पल में तोड़ देगी जिंदगी मुझ से ये सोचा न था … सच बोलती थी जो फरेब करने लगेगी ये सोचा न था … हर दर में साथ देकर इस पल साथ छोड़ देगी साँसे ये सोचा न था … अकेले होकर भी परछाई तो साथ होती थी वो भी रात में नजर न आएगी ये सोचा न था … सुख में तो सब होते है दुःख में तो बस दिल ही होता है वो भी खुद से टूट जाएगा ये सोचा न था … सपने बने हुए सदियों के पल में भिखर जाएगा ये सोचा न था … ख्वाहिशो पे लग जायेगी बंदिशे कभी ये सोचा न था … जिंदगी की उम्र बस कास में निकल जायेगी ये सोचा न था … सुबह से साम बस यु तरस तरस के हर चीज के लिए गुजर जाएगी ये सोचा न था … चाहत थी बहुत कुछ करने और पाने की उनमे एक भी पूरा न होगा ये सोचा न था … जो हुआ वो होना न था ऐसा भी होगा एक दिन ये सोचा न था …

Oof ya aadaya

एक ख़ूबसूरत सी सावली सी लड़की, बहुत खुल के मिलती है वो बेबाक सी लड़की। उसकी शोहबत में मुझे कुछ होश नही रहता, कुछ अना नही रहता कुछ नौमीद नही रहता। देखकर गाफिल अदा मेरी करती है इताब वो मासूम सी लड़की। वो किसी और से मोहब्बत करती है शायद, मेरे दिल को भी उसका इंतज़ार रहता है शायद। मेरी आँखें पढ़ लेती तो कुछ और बात होती, मेरे अल्फ़ाज़ समझ लेती तो कुछ और बात होती। राह में उसकी खड़ा हूँ मैं इख़्तिलात लिए हुए और जहां में मोहब्बत ढूंढती है वो नादान सी लड़की। मिले जो कभी उस जहां में तो उससे इज़हार करूँगा उस दिन मोहब्बत का राज़-ए-बयां करूँगा। जानकर मिरा हाल-ए-दिल कुछ हैरान तो होगी, कुछ मुस्कुराएगी, कुछ नाराज़ तो होगी। सारी हदों को तोड़ वो पास आएगी और मेरी हो जायेगी वो मासूम सी लड़की।

Mara sawal

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क्या मेरे सवालो का जवाब है तेरे पास ? जो मैं अक्सर पुछा करता, और तू मुकर जाया करती थी | क्या तेरे गुनाहों का हिसाब है तेरे पास ? जब मुझसे बहाना बनाकर, किधर जाया करती थी | वो तेरे चेह...

यादें

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लम्हें जो मेरी ज़िंदगी के अनमोल पल बन गये, वो लम्हें जो मेरे गुज़रे हुये कल बन गये, काश इन लम्हों को मैं फिर से जी पाता, वो लम्हें जो मेरी नम आँखो के जल बन गये. आँखों में सपने और दिल में अरमान लिये, एक सफ़र में चल पड़े बिना किसी का साथ लिये, रास्ते में कुछ नये चेहरों से मुलाकात हो गई, फिर तो वो ऐसे दोस्त बने जैसे एक रिश्ता हो उम्र भर के लिये. वो लम्हें जो मुझे चाहने वाले मेरे दोस्त दे गये, वो लम्हें जो ना भूला पाने वाले कुछ लोग दे गये. इस सफ़र की शुरुआत हमने साथ की थी, जान से प्यारे यारों के साथ कितनी सारी बात की थी, ज़िंदगी के उन पलों को भी हमने साथ जिया था, जिन पलों ने खुशी और गम दोनो से मुलाकात की थी. वो लम्हें जो अब लौट के नहीं आ सकते, वो लम्हें जहाँ हम चाह के भी नहीं जा सकते. अपने यारों के दिल की बात हम बिना कहे जान लेते थे, कौन पसंद है किसको ये थोड़े से झगड़े के बाद हम मान लेते थे, कैंटीन और कैफ़े की पार्टियां तो रोज़ हुआ करती थी, खूबसूरत लड़कियों को कॉल कर, ना जाने कितने नाम लिया करते थे. वो लम्हें जो एक धुंधली याद बन गये, वो लम्हें जो एक यादगार किताब बन ...