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Showing posts from May, 2022

dream

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मैं पैसों से गरीब होने के वजह से भारत के कई खूबसूरत जगहों पे नही जा सकता, वहां की खूबसूरती और प्राकृतिक का प्यार नही पा सका.. औरों का तो पता नही लेकिन मुझे घूमना बेहद पसंद है.. मैं चाहता हूं पहाड़ों के ऊपर चढ़ पृथ्वी को निहारना, समुंद्र किनारे बैठ सूर्य को उगते हुए देखना,।। 🌧️🌞

main lekhunga 🕊️

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लिखूंगा, आज लिखूंगा धर्म पर, अधर्म पर, राम पर, रावण पर, हार पर, जीत पर, शोषित पर, वंचित पर , दलित पर , बुद्ध पर, जैन पर, दर्शन पर, हिन्दू पर, मुस्लिम पर, गर्व पर , अहंकार पर, उम्मीद पर, निराशा पर, शत्रु पर, मित्र पर, गरीब पर, अमीर पर, कृष्ण पर, कंस पर, ज्ञान पर, अज्ञान पर, विज्ञान पर। आज लिखूंगा मैं दुनिया की हर विधा पर, हर बात पर, हर सोच पर। आज लिखूंगा मैं । लिखूगां उस शहर के उन उस इन्सान के बारे में जो खुद के बच्ची होते हुये भी दूसरी लड़कियों को गिद्ध की नजर से देखता है । लिखूंगा तरसती आँखों में बसती उस भूख के बारे में जिसे होटल का मालिक खाना फेंकते हुए भगा देता है। लिखूंगा उन आँखों के बारे जो किसी माँ को दूध पिलाता हुआ देखकर अश्लील हो जाती है। लिखूंगा आज उस कचरे के डिब्बे में नवजात भूर्ण को फेंकते हुए आदमी के बारे में जो अपने बच्चे की खरोच पर भाग चला जाता है। लिखूंगा आज उस आदमी की मनोस्तिथि पर जो हिरोशिमा पर बम गिराने के बाद आत्महत्या कर लेता है। लिखूंगा आज उस मजहबी कट्टर नेता पर जो अपने बच्चे के खातिर कभी चादर चढ़ाने मस्जिद जाता है तो कभी घर में महामृत्युंजय की पूजा करवाता है। लिखू...

kuch baate

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सुनो ना, मैं तुम्हे बताना चाहता हूँ अपनी खामोशी में छिपी पीड़ा, मैं तड़प रहा हू रेत पर पड़े मछली की तरह, उसे पानी की तलाश है और मुझे तुम्हारी प्यार की। मुझे नही पता कि तुम मुझे चाहती हो या नही, शायद तुम मुझसे नफरत भी करती हो, या फिर तुम किसी और से प्यार करती हो, लेकिन मुझे मालूम नही हो। मैं तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं अभी भी। तुम्हे नही पता होगा लेकिन इतंजार करते करते 7 साल होने को हैं, अब शायद तुम्हारे मन में ये सवाल आये की अभी क्यों मैं तुम्हे अपनी पीड़ा बताना चाहता हु? मैंने अपनी खामोशी तुम्हे बतलाने के लिए ना जाने कितने तरीके अपनाए लेकिन सब विफल हो गए जैसा कोई पहली नींद में देखें गए ख्याब हो।  मुझे खुद भी नही पता कि आखिर मुझे तुममे ऐसा क्या दिखा की मैं तुम्हारा दीवाना हो गया, शायद तुम इसे एक साजिश समझो, लेकिन तुम्हे मैं बता दूँ, मैं तुम्हे उस समय से चाह रहा हू जिस वक्त मैं जिस्म से वाकिफ भी नही था।  शरुआत करते है शुरू से-  उस समय की बात है जब मैं 7 वी में था, प्यार व्यार मुझे सब बकवास लगता था, स्कूल भी बहुत कम जाता था, इतना कम जाता था कि 6वी में ड्रेस का पैसा और छात्रवृति ...

doha

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रतन अमोलक परख कर रहा जौहरी थाक। दरिया तहां कीमत नहीं उनमन भया अवाक।। धरती गगन पवन नहीं पानी पावक चंद न सूर। रात दिवस की गम नहीं जहां ब्रह्म रहा भरपूर।। पाप पुण्य सुख दुख नहीं जहां कोई कर्म न काल। जन दरिया जहां पड़त है हीरों की टकसाल।। जीव जात से बीछड़ा धर पंचतत्त को भेख। दरिया निज घर आइया पाया ब्रह्म अलेख।। आंखों से दीखे नहीं सब्द न पावै जान। मन बुद्धि तहं पहुंचे नहीं कौन कहै सेलान।। माया तहां न संचरौ जहां ब्रह्म को खेल। जन दरिया कैसे बने रवि-रजनी का मेल।। जात हमारी ब्रह्म है माता-पिता हैं राम। गिरह हमारा सुन्न में अनहद में बिसराम।