kuch baate


सुनो ना,
मैं तुम्हे बताना चाहता हूँ अपनी खामोशी में छिपी पीड़ा, मैं तड़प रहा हू रेत पर पड़े मछली की तरह, उसे पानी की तलाश है और मुझे तुम्हारी प्यार की। मुझे नही पता कि तुम मुझे चाहती हो या नही, शायद तुम मुझसे नफरत भी करती हो, या फिर तुम किसी और से प्यार करती हो, लेकिन मुझे मालूम नही हो। मैं तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं अभी भी। तुम्हे नही पता होगा लेकिन इतंजार करते करते 7 साल होने को हैं, अब शायद तुम्हारे मन में ये सवाल आये की अभी क्यों मैं तुम्हे अपनी पीड़ा बताना चाहता हु? मैंने अपनी खामोशी तुम्हे बतलाने के लिए ना जाने कितने तरीके अपनाए लेकिन सब विफल हो गए जैसा कोई पहली नींद में देखें गए ख्याब हो। 
मुझे खुद भी नही पता कि आखिर मुझे तुममे ऐसा क्या दिखा की मैं तुम्हारा दीवाना हो गया, शायद तुम इसे एक साजिश समझो, लेकिन तुम्हे मैं बता दूँ, मैं तुम्हे उस समय से चाह रहा हू जिस वक्त मैं जिस्म से वाकिफ भी नही था। 
शरुआत करते है शुरू से- 
उस समय की बात है जब मैं 7 वी में था, प्यार व्यार मुझे सब बकवास लगता था, स्कूल भी बहुत कम जाता था, इतना कम जाता था कि 6वी में ड्रेस का पैसा और छात्रवृति तक नही मिला। क्लास ना जाने का मुख्य वजह था पढ़ाई का माहौल ना होना। उसी समय तुम्हारा एडमिशन हुआ हमारे स्कूल में और मेरे ही क्लास में, कोई भइया होंगे तुम्हारे जो एडमिशन कराने आये थे चूंकि तुम्हारा एडमिशन हाफ ईयर में हुआ था, इसलिए तुम्हारे भइया M सर को 200 रुपया दे रहे थे और वो ले नही रहे थे व्यहार की वजह से। मैं तुम्हे यह बताता लिखू कि 7वी में 3 चीजे हुई पहली तो 3 टीचर्स की जोइनिंग, जिनमें एक मिस भी थी जो कि अब मैडम बन गईं हैं। दूसरी तुम्हारा एडमिसन। तीसरा R का एडमिसन। R था तो मेरा दोस्त लेकिन हरकतें विलेन जैसी थी। 3 टीचर्स की जोइनिंग के बाद पढ़ाई के माहौल में बदलाव आया था, जिसकी वजह से मैं क्लास जाने लगा था, लेकिन उतना भी नही। इसी बीच तुम्हारा एडमिसन होते हुए देखा, तुम्हारा नाम पढ़ा तो थोड़ा अलग लगा, लेकिन मुझे उससे कुछ लेना देना नही था। एडमिशन बाद तुम क्लास आने लगी, तुम्हारे क्लास आते हुए 4-5 दिन हुए थे तब मैंने तुम्हें अच्छी तरह देखा। एकदम मासूम लड़की दिल की तरह शरीर भी कोमल जिसके हँसने पर गालों में डिंपल निकल आते, आँखों का तो पूछो मत उसपर मैं एक पूरी किताब लिख दूँ, बस इतना जान लो कि तुम्हारी आँख इतनी गहरी झील है जिनमें डूब जाने के बाद इंसान बचता नही है। एकदम चमकती हुई आँख मैं तुम्हारी आँख इसलिए देखता रहता था कि मुझे उसमे से सकारात्मक ऊर्जा मिलती थी। तुम्हारे ओंठ के बारे में क्या लिखूं जिसे मैंने कभी देखा ही नही। बाल ज्यादा लम्बे नही थे घने भी कम ही थे लेकिन काले थे। हाइट ज्यादा नही लेकिन परफेक्ट। रंग गोरा, पतली, तुम एकदम प्रकृति की तरफ से भेजी गई कोई अप्सरा लग रही थी कोई बनावटी नही, कोई दिखावट नही। सबसे मजेदार बात क्या है मालूम है ? इतना सब कुछ देखने के बाद मुझे कुछ भी नही हुआ। दिल नही धड़का, देखते नही रह गया, कोई आकर्षक तक नही हुआ। तुम्हे तो पता होगा ही कि मैं कितना बिगड़ैल था और कुटाई भी जो जाती थी। मुझे कुछ फर्क भी नही पड़ता था। R बोलतु,स्मार्ट,पढ़ने में ठीक था, सबसे पड़ी बात ओ तुम्हारे ही जाति से था। कुछ दिन बाद पता चला कि तुम भी पढ़ने में ठीक थी। मैं तो ठीक था ही। फिर तुम्हारी दोस्ती S से हुई नकचढ़ी लड़की, दिखावा करने वाली, लेकिन दिल से ठीक थी वो। पढ़ती में उतना सही नही लेकिन नकल करने में एक्सपर्ट। दोस्ती के साथ तुममे दिखावा करने का गुण भी आ गया लेकिन जब तुम अकेली होती थी तो एकदम शांत तुम्हारे चेहरे से मासूमियत टपकती थी। धीरे धीरे समय बिता, हम सब 8वी चले गए। 8 वी में जाने के दूसरे दिन ही शर्मा मास्टर ने मुझे फिर से कूट दिया, लेकिन उस दिन मुझे बुरा लग रहा था।
मै घर आकर सबसे बताना लगा कि मैं मास्टर को पिटूंगा भले ही नाम क्यों ना कट जाए। फिर पापा ने मुझे बहुत समझाया उन्होंने कई उदाहरण दिए और बताया कि देखा "उ अपना मास्टर के ईटा चला के मार के भाग गइल आज पोलदारी करत बा"। तब जाकर मैं समझा, पता नही शर्मा मास्टर मुझे क्यों नही देखना चाहता था।8वी में जाने के साथ हम टीनएजर्स हो गए, ध्यान रहे अभी भी मुझे तुमसे लगाव नही हुआ था।
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मुझे बस यह जानना हैं कि तुम मुझे चाहती हो या नही? मैं तुमसे ये नही कहूँगा कि तुम भी मुझे चाहो, तुम्हारे इंकार करने पर मैं नही काटूंगा अपनी हाथ की नसें, ना ही खाऊंगा जहर, ना ही होगी मुझे किसी नशे की लत। क्योंकि मुझे पता कि किसी के अंदर जबरजस्ती अहसास नही भरा जा सकता और साथ ही मुझे मेरे जीवन का महत्व भी पता है।

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