Oof ya aadaya


एक ख़ूबसूरत सी
सावली सी लड़की,
बहुत खुल के मिलती है
वो बेबाक सी लड़की।
उसकी शोहबत में मुझे
कुछ होश नही रहता,
कुछ अना नही रहता
कुछ नौमीद नही रहता।
देखकर गाफिल अदा मेरी
करती है इताब
वो मासूम सी लड़की।

वो किसी और से
मोहब्बत करती है शायद,
मेरे दिल को भी उसका
इंतज़ार रहता है शायद।
मेरी आँखें पढ़ लेती
तो कुछ और बात होती,
मेरे अल्फ़ाज़ समझ लेती
तो कुछ और बात होती।
राह में उसकी खड़ा हूँ
मैं इख़्तिलात लिए हुए
और जहां में मोहब्बत
ढूंढती है
वो नादान सी लड़की।

मिले जो कभी उस जहां में
तो उससे इज़हार करूँगा
उस दिन मोहब्बत का
राज़-ए-बयां करूँगा।
जानकर मिरा हाल-ए-दिल
कुछ हैरान तो होगी,
कुछ मुस्कुराएगी,
कुछ नाराज़ तो होगी।
सारी हदों को तोड़
वो पास आएगी
और मेरी हो जायेगी
वो मासूम सी लड़की।

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