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Showing posts from August, 2022

aahsaso ka dard. ✨

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बीते कुछ समय से मैंने कुछ भी नहीं लिखा है। मेरी स्मृतियों में बसने वाले सभी बिम्ब धुँधले पड़ चुके हैं। मानो भीतर किसी की याद ही न बची हो। लिखते-लिखते अक्सर ऐसा लगने लगता है मानो इतना लिख लिया हो कि अब लिखने को कुछ बचा ही न हो। लिखने वालों का दिल पत्थर हो चुका होता है। लिखते-लिखते, वे एक ही उदासी को हज़ारों बार जीते चले जाते हैं। उनके जीवन की त्रासदियाँ, वे रोज़ लिखते हैं। साथ, साथ उन त्रासदियों को जीते भी हैं। ऐसे में दिल पत्थर करना पड़ता होगा, ये मान लेना चाहिए। मेरे हाथों में आजकल बहुत दर्द भी रहता है। पड़े-पड़े शायद बेकार होते जा रहे हैं। नसों में शब्द जमते जा रहे हैं, मानो। ये शब्द कलम या कीबोर्ड के रास्ते बाहर आने को उतावले हैं लेकिन एक अजीब से सैडिस्टिक माइंडसेट के साथ जी रही हूँ मैं। शायद, खुद को ख़त्म करने की हिम्मत नहीं है मुझमें, इसीलिए अपने अंदर के उस इंसान को खत्म कर रही हूँ जो मेरे दर्द, मेरी उदासी को लिख सकता है। दुनिया ज़्यादा देख नहीं पाती है। दुनिया का दस्तूर है, जो दिखता है वही समझ में आता है। न मैं अपना दर्द लिखूँगी, न उसे कोई पढ़ेगा और न उसका कोई अस्तित्व बचेगा। लिखना एक बड़ी...

self love will never hurt you 🙂

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खुद को प्यार करना क्यों है जरूरी ?  किसी ने सच ही कहा है कि यदि आप स्वयं से प्रेम नहीं करते हैं , तो आप दूसरों से प्यार नहीं कर सकते । अपने आपको प्यार करना स्वयं के विकास में निवेश करने जैसा है । आप ही हैं , जो अपने जीवन की दिशा को तय कर सकती हैं , यानी खुद ही यह तय कर सकती हैं कि आपको क्या करना है । अपनी भावनाओं , रिश्तों और बाकी व्यावहारिक जिंदगी के लिए दूसरों पर निर्भर रहने से हीनभावना बढ़ सकती है । कम से कम अपनी जिंदगी की लगाम खुद के हाथ में रखने का गर्व आपके चेहरे पर दमकेगा । यह आत्मविश्वास आपको हर दिन वैलेंटाइन डे जैसा रूमानी बना देगा । एक दिन के 24 घंटे ऑफिस व घर के काम में पूरा दिन बीत गया । रात में सोते हुए भी मन में यही गुणा - भाग कि कल क्या - क्या करना है ? पर सवाल यह कि रात - दिन की इस भागदौड़ के बावजूद आप खुश क्यों नहीं हैं ? इसलिए कि ड आपकी परवाह कोई नहीं कर रहा ? बेहतर है , इससे पहले स्वयं से पूछें कि आपने खुद के लिए कितना समय निकाला ? उत्तर में शायद निराशा हो हाथ लगे , क्योंकि इस सवाल का जवाब आपके पास नहीं है । होगा भी कैसे ? आप तो हमेशा खुद को आखिर में ...

Aab wo wakt nhi Raha 🌜

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दुनिया का सबसे बदनसीब और बदसूरत पल जानती हो कब होता है, जब तुम्हारे रोने से तुम्हारी आँखों का काज़ल फ़ैल जाता है..और तुम्हारी मोटी मोटी इन आँखों से आँसुओं का सैलाब उमड़ पड़ता है..जिन पलकों की छाँव में मैंने कई गर्मियां गुज़ारी हैं, मैंने जिन आँखों में अपनी एक दुनिया देखी है, जिसके काज़ल का काला रंग मुझे दुनियां में सबसे सुंदर औऱ सबसे गाढ़े रंग सा लगता है, उसका यूँ इस तरह फ़ैल कर फ़ीका पड़ जाना मेरी बेचैनी बढ़ा दिया करता है.. जब तुम पूरा दिन समझदारी के कई ऐसे नमूने मेरे सामने रख दिया करती हो, जिसमें तुम्हारी समझदारी देख कर मैं घमंड करने लगता हूँ, वहीं रात को एक छोटी सी बात पर तुम्हें यूँ बच्चों की तरह रोता हुआ देख मेरे कंधे कमजोर पड़ जातें हैं..मैं तुम्हें रोता हुआ देखकर ये भूल जाता हूँ कि गलती किसकी है, बस मैं तुम्हें चुप करा देने में लग जाता हूँ.. मुझे लगता है कि मैं दुनिया का सबसे हैवान आदमी हूँ जिसने तुम्हें रुलाया है, उसे जिसने मुझे ज़रूरत से कही ज़्यादा प्रेम किया है.. उस वक़्त रोते हुए कही गई तुम्हारी हर एक बात मेरे सीने को चीरती जाती है, मैं जब नाकाम होने लगता हूँ तुम्हें चुप कराने में, मैं एक...