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Showing posts from December, 2022

Vah guftgu 🫀

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 सुनो! सुन रही हो न! इक अरसे बाद आज फिर से सफर में हूं....तुम जानती हो जब सफर में होता हूं, तो तुम पूरे वक्त याद आती रहती हो... गाड़ी तेजी से भागती है, लेकिन मेरी जिंदगी जैसे कुछ वक्त के लिए थम सी जाती है.... तुम्हें याद है  लड़की? कुछ साल पहले ऐसे ही एक सफर में था, फोन के रिंगटोन बजी, (हमनवा मेरे तू है तो मेरी सांसें चलें) अननॉन नंबर था, तो मैंने कहा, हेलो कौन?? "अरे! मैं हूं! कितने प्यार और अपनेपन से कहा था तुमने... ओह! तुम! पहली बार फोन पर आवाज सुनी तुम्हारी, इसलिए पहचान नहीं पाया.. फिर उस शाम कितनी ही देर हम दोनों...बातें करते रहे थे.. यूं कहो, कि तुम बिना रुके, बिना थके कितना कुछ कहे जा रही थी.... मैं बस  chath se   ऊपर आसमान में चांद को चलते देख रहा था... ..............फिर जब पूरे आधे घंटे बाद जब तुमने पूछा?? "तुम कुछ सुनाओ, चुप क्यों हो, गुमसुम से?"" मैं बस हौले से हंस दिया था, और इतना ही कहा था... "तुम बोलने दो तब न😀" "ओह! इतनी देर से मैं बोलती ही जा रही हूं, मुझे याद ही नहीं रहा, कि तुमसे कुछ पूछूं" शरमाते हुए तुमने कहा। तुमने टोका क्यू...

अधूरे खुआब्ब 🫀

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तुम्हें ऐसे टूटकर चाहना या यूँ दीवानों की तरह तुमसे प्रेम करना कभी नहीं चाहिए था मुझे, मैं बस चाहता था कि बातें हों, कुछेक मुलाकातें हों, या ऐसे ही किसी रेस्टोरेंट में बैठकर खाना न सही, हम चाय पीकर ही लौट जाएं..रात के सन्नाटे में, तुम्हारे मोहल्ले की तीसरी गली से बाहर निकलकर खाली सड़कों पर मैं तुम्हारा हाथ थामे बस चलता रहूं..तुम्हारी हील वाली सैंडिल की टक-टक की आवाज के ठीक बाद हल्की सी आने वाली तुम्हारी पायल की आवाज को रात भर सुनता रहूं.. मैंने जाने ऐसे कितने ख़्वाब सजाए थे, जो कभी पूरे नहीं हुए थे, वो अधूरे पड़े रहे कई बरस, पूरे होने के ठीक एक पल पहले से..उस एक पल को मैं भूलना चाहता था तुम्हारे साथ रहकर..मैं ख़ुदको लोगों के बीच, खुश दिखाने की चाहत में, तुम्हारे साथ नाइंसाफी करने का फ़ैसला ले चुका था, या इसी मकसद से मैंने तुमसे बातें करी..हमेशा तुमसे अपना गुज़रा हुआ कल बांटने से कतराता रहा.. पर तुम्हारे साथ कब मेरा वो कल तुम्हारी ज़ुल्फ़ों के घने साये में कैद होकर रह गया, कब मेरा दुःख सुकून में बदल गया, कब मेरी ज़िंदगी का मकसद खुद को ख़ुश दिखाने से, तुम्हे ख़ुश रखने की चाहत में बदल गया, कब लोगों ...

आधूरी बाते 💫

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आधी उम्र जी लेने के बाद एहसास होता है कि आज तक जो भी हमने किया है, कमाया है सब कुछ बहुत कम पड़ रहा है..ऐसा कुछ भी नहीं जो पर्याप्त है हमारे पास, और एक समय है जो भागा जा रहा है बहुत तेज गति से..इस उम्र में आने के बाद लगने लगता है कि हमने कितना कुछ पीछे छोड़ दिया है जो कि सबसे जरूरी था हमारे लिए, उसे संजो कर रखना आखिर कितना जरूरी था ये बड़ी लगने वाली छोटी सी जिंदगी का गुजर बसर करने के लिए..!! बचपन छूट गया फिर स्कूल छूट गया जैसे तैसे लगा की अब कॉलेज में मजे करेंगे तो वो समय और जल्दी बीता बाकी वक्त के मुकाबले में, हमने अपने लड़कपन में अपना पहला प्यार खो दिया, पहला प्यार छूट जाना पूरी जिंदगी अखरता है..फिर ये समय अचानक एक बोझ साथ ले आता है..जिम्मेदारियों का..!! मिडिल क्लास लौंडे का जीवन 22–24 की उम्र में ही उसे वहां लाकर खड़ा कर देता हैं जहां हमें कम से कम 30 की उम्र में होना चाहिए था.. खैर इस सब के बीच एक सबसे बड़ी बात और सबसे बोझिल होता है अपने बाप को अपनी आंखो के सामने बूढ़े होते देखना..बाप के वो मजबूत कंधे जो पूरे परिवार को अकेले सम्हाल लिया करते थे अब उनकी बाजुओं में वो ताकत भी न होना क...

dec 13 .lafz

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जितनी भी लड़कियां ये पढ़ रही हैं न उनके लिए ये मैसेज हैं..यार देखिए जब जिंदगी में किसी रिश्ते में पहला थप्पड़,पहली गाली,पहली बार जलील किया जाए या सम्मान को ठेस पहुंचाया जाए तो उस दिन ये फैसला ले लो...ये मत सोचो कि तुम कैसे पलट कर जाओगी...क्योंकि श्रद्धा ने ये सोच लिया होता तो आज ये जिंदा होती...35 टुकड़ों में कटकर उसके बॉडीपार्ट्स जंगल में नही होते...कहीं देखा था उनके पिता जी के द्वारा थाने में शिकायत की गई थी कि..वो पच्चीस वर्ष की थी तब उन्हें पता चला कि वो आफताब के साथ रिलेशनशिप में और उसके साथ लिव-इन में जाना चाहती हैं...पिता ने उस शिकायत पत्र में भी लिखा था कि मैने मना किया दूसरे धर्म का लड़का था...तो श्रद्धा ने कहा था कि सुनिए...आपको मानना हैं तो मानिए...नही मानना हैं तो मत मानिए मैं पच्चीस की हो चुकी हूं..मुझे फैसला लेने का अधिकार हैं..वो दिल्ली चली गयी...बाद में आफताब उसे मारने पीटने लगा था...उसके पिता बताते हैं कि इस लड़कीं ने अपने माँ को बताया था..लेकिन वो हिम्मत नही कर पाई वापस जाने की..उसे लगता था कि शायद वो पलटकर किस मुंह से जाएगी...आफताब शायद उसे लाइफ में स्लीव बना कर रखता था......

🕯️yaade

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जो मिलते  थे किसी न किसी बहाने से उन्हें धीरे धीरे दूर होते देखा है मैंने अपनों को अपनों को हाथ छोड़ते हुए देखा है जो कहते थे हसी अछि लगती है मेरे चेहरे पर उन्हें जिंदगी भर की उदासी देते हुए  देखा है मैंने ख़ुशी को मेरे साथ छोड़ते हुए देखा है जो कहते कभी नहीं छोड़ेंगे साथ कुछ ही समय में जुड़ा  होते देखा है मैंने दूरियों  को हमारे बीच बढ़ते हुए देखा है मे कर  लेता था उनकी हर बात पर ऐतबार आज हर वादें और भरोसे को टूट ते देखा है आज मैंने  खुद को ही खुद पर शक करते हुए देखा है जो कहते थे नहीं पसंद मुझे तेरा किसी और से मिलना उन्हें आज मैंने किसी और क साथ खुश देखा है मैंने जिंदगी को मुझे सबक सिखाते हुए देखा है लोग कहते है यहाँ कोई नहीं किसीका इस बात को मैंने सच होते हुए देखा है मैंने जिंदगी को बड़े करीब से देखा है

khatam tata

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वर्ष 2022 की शुरुआत में सोचा था कि इस वर्ष खुद को बदलने का हर सफल प्रयास करूंगा।वर्ष भी समाप्ति की ओर सतत चलता जा रहा है लेकिन हमेशा की तरह मैं अपने अंदर कोई परिवर्तन नही ला पाया।पता नही,शायद...खुद को बदलने का कोशिश नही किया मैंने या फिर तकनीक ही गलत थी मेरी।