अधूरे खुआब्ब 🫀

तुम्हें ऐसे टूटकर चाहना या यूँ दीवानों की तरह तुमसे प्रेम करना कभी नहीं चाहिए था मुझे, मैं बस चाहता था कि बातें हों, कुछेक मुलाकातें हों, या ऐसे ही किसी रेस्टोरेंट में बैठकर खाना न सही, हम चाय पीकर ही लौट जाएं..रात के सन्नाटे में, तुम्हारे मोहल्ले की तीसरी गली से बाहर निकलकर खाली सड़कों पर मैं तुम्हारा हाथ थामे बस चलता रहूं..तुम्हारी हील वाली सैंडिल की टक-टक की आवाज के ठीक बाद हल्की सी आने वाली तुम्हारी पायल की आवाज को रात भर सुनता रहूं..

मैंने जाने ऐसे कितने ख़्वाब सजाए थे, जो कभी पूरे नहीं हुए थे, वो अधूरे पड़े रहे कई बरस, पूरे होने के ठीक एक पल पहले से..उस एक पल को मैं भूलना चाहता था तुम्हारे साथ रहकर..मैं ख़ुदको लोगों के बीच, खुश दिखाने की चाहत में, तुम्हारे साथ नाइंसाफी करने का फ़ैसला ले चुका था, या इसी मकसद से मैंने तुमसे बातें करी..हमेशा तुमसे अपना गुज़रा हुआ कल बांटने से कतराता रहा..

पर तुम्हारे साथ कब मेरा वो कल तुम्हारी ज़ुल्फ़ों के घने साये में कैद होकर रह गया, कब मेरा दुःख सुकून में बदल गया, कब मेरी ज़िंदगी का मकसद खुद को ख़ुश दिखाने से, तुम्हे ख़ुश रखने की चाहत में बदल गया, कब लोगों को दिखाने से ज़्यादा मुझे तुम्हें देखने में दिलचस्पी बढ़ गई, कब मेरी कोरी ज़िंदगी के हर एक पन्ने पर तुम्हारा ज़िक्र लिखता चला गया मुझे पता ही नहीं चला..

मैं इस बेरंग ज़िंदगी में कुछ रंग भरना चाहता था, और उसके लिए मैंने तुम्हें चुना..पर हम कुछ नहीं चुनते हैं, लकीरें चुनती हैं एक दूसरे को, ये बात मुझे समझ आने लगी..मैंने ख़ुदको रोकने की कोशिश भी नहीं की..तुम्हारे नज़दीक आना मेरी ज़िंदगी के उन 2-4 फैसलों में से एक था जो स्वार्थी होकर लिए गए थे, लेकिन आज स्वार्थ जैसा कुछ नहीं बचा..बस बचा है तो तुम्हें चाहना..चाहते रहना..और कभी कभी थोड़े नशे में, तुम्हारे प्रेम में दीवानो सा, खाली सड़को पर अकेले चलते हुए,ज़ोर ज़ोर से तुम्हरा नाम पुकार कर, हल्के से मुस्कुरा देना..❤️

Comments

Popular posts from this blog

मैं 🗿

समस्या 🦂

अंत करीब है