Maan ki baat

 मैं किसी के लिए नहीं लिखता ।

अपने लिए भी नहीं।मैं लिखता हूं क्योंकि मेरी अभिव्यक्ति का एकमात्र साधन है यह।

मुझसे अपने मन की बातें बताई नहीं जाती।

ऐसा नहीं है कि मेरे दोस्त नहीं या मैं किसी से बात नहीं करता।

फिर भी मुझे लगता है कि मैं सबको धोखे में रखता हूं,

सबसे बातें छुपाता हूं...

>>>ऐसा भी नहीं कि मैं किसी से कुछ कहना नहीं चाहता।

बस कह नहीं पाता ।मुझे लगता है कि अगर मैं अपने मन की हर बात किसी से कहने लगूं तो वह इंसान मुझसे नफ़रत करने लगेगा।

और मुझे सबसे ज्यादा डर किसी अपने को खोने का ल

ता है।





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