जब खुद की कीमत पता चल जाती है, तो कोई आपको त्याग भी दे तो फर्क नहीं पड़ता..🕶️
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आजकल के दौर में किसी व्यक्ति के बारे में कोई एक निश्चित राय नहीं बनानी चाहिए, क्योंकि लोग अलग-अलग जगह अलग-अलग लोगों से अलग-अलग तरह का व्यवहार करते हैं।
दो लोग करीब आकर भी क्यों अधूरे रह जाते है,क्योंकि वो दोनों अपने अहंकार में होते हैं,लेकिन एक रोज़ उनको ये एहसास होगा कि उनके अहम से बढ़कर भी कोई चीज़ हैं,जो मायने रखती हैं,वो हैं एहसास किसी को हमेशा के लिए खो देने का एहसास उस वक्त का जब चीज़ें क़ाबू में थी, एहसास उस सिलसिले का जब ये यक़ीन था,कि मुझे इस जहां में उतारा गया हैं,सिर्फ़ इस शख़्स के लिए लेकिन हम खो देना पसन्द करते हैं... केशव ❄️
एक ख़ूबसूरत सी सावली सी लड़की, बहुत खुल के मिलती है वो बेबाक सी लड़की। उसकी शोहबत में मुझे कुछ होश नही रहता, कुछ अना नही रहता कुछ नौमीद नही रहता। देखकर गाफिल अदा मेरी करती है इताब वो मासूम सी लड़की। वो किसी और से मोहब्बत करती है शायद, मेरे दिल को भी उसका इंतज़ार रहता है शायद। मेरी आँखें पढ़ लेती तो कुछ और बात होती, मेरे अल्फ़ाज़ समझ लेती तो कुछ और बात होती। राह में उसकी खड़ा हूँ मैं इख़्तिलात लिए हुए और जहां में मोहब्बत ढूंढती है वो नादान सी लड़की। मिले जो कभी उस जहां में तो उससे इज़हार करूँगा उस दिन मोहब्बत का राज़-ए-बयां करूँगा। जानकर मिरा हाल-ए-दिल कुछ हैरान तो होगी, कुछ मुस्कुराएगी, कुछ नाराज़ तो होगी। सारी हदों को तोड़ वो पास आएगी और मेरी हो जायेगी वो मासूम सी लड़की।
जिंदगी, जिंदगी न रही। लगभग 10 दिनों से पता नहीं मेरे नींद को कौन खाए जा रहा है। हर दिन सुबह लगभग 3:13 में मेरी नींद खुल जा रही है। आज भी मेरी आंखें पूरे 3:13 में ही खुली। कमरा पूरी तरह से अंधेरे में घुला था। पंखा बंद था। पंखा क्यों बंद था मुझे मालूम नहीं। पंखे की जरूरत महसूस हो रही थी, परंतु शरीर उठ के पंखे को चालू करने के लिए राजी नहीं हो रहा था। मुझे ये कहने में झिझक नहीं होगी, कि मैं एक आलसी किस्म का इंसान हूं। पूरे जिस्म के ऊपर पसीने की बूंदे रेंग रही थी। कमरे की खिड़की खुली थी। पूरा शहर इस वक्त सो रहा था। मैं सोचने लगा कि कोई बीमार ही होगा जो इस वक्त जगा होगा। पूरा शहर इस वक्त एक विचित्र सन्नाटे में तैर रहा था। इस वक्त का सन्नाटा मेरे अंदर के रूह को सांत्वना दे रहा था। मैं उस वक्त तक बिस्तर पे ही लेटा था। गर्मी से लतपथ होने के बावजूद मेरे में इतनी शक्ति नहीं थी कि मैं उठ के पंखे का बटन दवा दूं। मैने महसूस किया कि मेरे जिस्म को कोई जंजीरों से बांध रखा है। और मेरी आलस्पन देखिए मैं उन्हें छुड़ाने की कोशिश भी नहीं कर रहा हूं। मेरी बीमारी क्या है मुझे मालूम नहीं। मैने कुछ समय बा...
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thanks god blas you