fhir mohhabat

ज़िंदगी मुहब्बत है और इस मुहब्बत की कहानी में सबसे अहम किरदार हो तुम। तुमसे बात-बेबात झगड़ा, तुमसे इक ख़ीच-खिचाई, तुम्हें तंग करना और तुमसे उलझ जाना ज़िंदगी है। तुम्हारे साथ दूर देश चले जाना, नौका-विहार करते हुए पाँव को पानी में रख देना, पंक्षियों की परवाज़ पर अपनी ख़ाहिश रख देना कि- मैं भी उड़ना चाहता हूं तुम्हारे साथ.. ज़िंदगी है। तुमको चूम लेना या तुमको अपने बदन पर ओढ़कर सो जाना ज़िंदगी है। तुम्हारे लिए दुनिया बनाना.. तुम्हारी दुनिया बन जाना.. सिर्फ़ तुम्हारी बात करना.. सिर्फ़ तुमसे ही बात करना ज़िंदगी है। तुम्हारी नादान ही अदाओं पर चुप मुस्कुराना, तुम्हें किसी 10 साल की बच्ची की तरह प्यार करना, तुम्हें परियों की कहानी सुनाना, तुम्हारा प्रेमी हो जाना, तुम्हें अपने सीने से लगाकर ये यक़ीन दिलाना कि- मैं सिर्फ़ तुम्हारा हूं.. ज़िंदगी है। ज़िंदगी साँस या धड़कन भर नहीं है.. ज़िंदगी असल में तो तुम हो। तुम ज़िंदगी में जान हो.. बाक़ी बदन हूं मैं।

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