दर्द मेरे दिल में

 देखा जाए तो हम एक साथ दो दुनिया मे जीते है

एक जिसमे हम रहते है
दूसरी जो हम में रहती है
आसान शब्दो मे दुनिया एक है लेकिन सबकी अलग अलग
जिस में हम रहते है वो सबकी एक है
जो हम में रहती है वो सबकी अलग।
नमस्ते लन्दन फ़िल्म में एक गाना है- कहने को साथ अपने एक दुनिया चलती है...
उस का भावार्थ भी कुछ ऐसा ही है।
दुनिया मे हर इंसान किसी न किसी खास काम के लिए पैदा होता है
कुछ जो कम उम्र में पता लगा लेते है वो तेंदुलकर, धोनी, लता, कलाम जैसी हस्तियां बन जाती है
कुछ तमाम उम्र भटकती है।
जब धोनी खड़गपुर स्टेशन में टीसी था तो उसे अपने अंदर एक दुनिया दिखाई देती थी जिसमे एक स्टेडियम के दर्शकों में माही माही की आवाज की गूंज तालियों में लिपटी मिलती थी, उसमे ट्रेन की धक धक को अनसुना कर धड़कन की आवाज को सुना।
जो अपनी दुनिया मे रहता है वो किसी से नही हारता बशर्ते उसे जीने का हुनर के साथ खुद पर भरोसा हो।

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