भरोसा 🥲

मुद्दतों बाद हुआ था मुझे भरोसा किसी पर,

फिर ये साबित हुआ के कोई भरोसे के काबिल नहीं !
पहले जो अपने थे अब उनके लफ्ज बता रहे कि वो अब अपने नही रहे।
दुनीयाँ का वसूल है जिसके लिए आप सब कुछ हारने के लिए तैयार रहोगे वो एक दिन आपको ये महसूस करा देंगा की तुम कितने बड़े बेवकूफ थे।
सब कुछ सब के हिस्से में नही देना चाहिए।
कभी खुद के लिए नही जिया हमेशा दूसरों की मदद के लिए आगे रहे।
जब अपनी बारी आई तो कोई मदद नही कर रहा।
किस्मत भी ऐसी लेकर आये है जहाँ से कोई source दिखता है वहा से भी वो दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो जाते है।
ऐसा ही रहा तो किसी रोज़ ये हँसता हुआ लड़का बन्द कमरे में गुम हो जाएगा।सच बता रहा मेरी जगह पर कोई और होता तो वो अब तक गुज़र गया होता।

Life में इतनी परेशानी है कि किस किस को सही करे इस असमंजस में हर एक पहर यूँही खाली गुज़र रहा।
दुसरो के लिए हौसला बनना बहुत ही आसान है पर अपने लिए हौसला ढूँढना बहुत ही मुश्किल।
जब इंसान पैसो से लाचार हो जाता है तो उसकी कोई इज़्ज़त नही रहती कोई ढंग से बात तक नही करता।
सब बेइज़त कर के जाते है और क्यों ना करे पैसा चीज़ ही ऐसी है।
सुना था पैसा हो तो इज़्ज़त भी कमा सकते है।
बस इसे कमाने में आधी ज़िन्दगी गुज़ार दी बाकी आधी ज़िन्दगी इससे इज़्ज़त कमाने में गुज़र जाएगा और मुझे पता है शुरू के आधे में मैने ये भी नही कमाया।
घर वाले कहते है कि अब मेरा कोई रिश्ता नही जो साथ है वो छोड़ के जाने वाले है,
दोस्त- रिश्तेदार पहले ही पीछे छूट चुके है।
बस जो याद रखते है वो बैंक और वो लोग जिनसे मैंने कर्ज़ ले रखा है।
इसके अलावा कोई भी नही है अब।
आगे का एक-एक दिन बहुत ही भारी होने वाला है जो पिछली तकलीफ थी वो तो जैसे तैसे काट दिए।
पता नही लोग कैसे कहते है हिम्मत रखो सब ठीक हो जाएगा,
यहां  इतने सालों से हिम्मत तो रख रहा हूँ पर ठीक होने की बजाए और तकलीफ़े बढ़ती जाती है।
किस से दुःख बाटे किस से शिकायत करे समझ ही नही आता।
गुस्से पर काबू नही होता और सारे गलत फैसले अपने खिलाफ ले लेते है।
मेरी परेशानी ही मुझे खाये जा रही है अंदर से।
बिल्कुल खोखला हो गया हूँ कभी पढ़ाई में सबसे तेज़ हुआ करता था सबसे होनहार समझदार बोलते थे घर वालो से लेकर पूरे रिश्तेदार और आज उनकी नज़र में बस एक नाकामयाब इंसान बन बैठा हूँ।
मैं रो नही रहा बस ये सोच रहा ,
वक़्त कितनी तेज़ी से बदल गया ना।
पहले middle class के लड़कों को सपने दिखाता है फिर जब उसे पा लो तो वापस ज़मीन पर लाके रख देता है।
Zero से भी शुरुवात करना रहे तो बेशक़ मैं लड़ लूँगा अपने आप से पर यहाँ तो सब कुछ minus में हो रखा है।
शायद कुछ दिन अब post नही आये सब बिखरा पड़ा है पता नही कितने दिन लग जायेंगे इसे समेटने में। ज़िन्दगी के सफऱ का अंत भी हो सकता है।अब हिम्मत नही है हालात से लड़ने की।



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