हर बात भूल जाता हूं

कई बार लगा मैंने तुम्हे भुला दिया है लेकिन नहीं.. यह मुझ से हो ही नहीं पाता है... मैं तुम्हे भुला ही नहीं पाता और तुम हो कि.. किसी न किसी वजह से याद आती रही हो हमेशा.. कभी नाम तो कभी तुम से जुड़ी चीजों की वजह से मैं तुम्हे इस तरह से ठुस कर बैठ गया हूँ कि तुम्हे खुद से निकाल ही नहीं पाता.. यह बिल्कुल ऐसा है जैसे कोई चीज मैंने पकड़ कर रखी हुई है और छोड़ने पर तक़लीफ़ मुझे होती है बहुत तक़लीफ़ जब भी कुछ लिखने की कोशिश करता हूँ मेरे शब्द तुम्हारी याद का एक टुकड़ा पकड़ कर बैठ जाते हैं...


सुन रही हो न तुम.. मेरा मन तुम्हारी और भागने लगता है मेरी धड़कने शोर करने लगती हैं बहुत शोर !! 

🙃 

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