समस्या 🦂

 मैं न तो अपने अतीत से खुश हूं, न तो वर्तमान से और न तो भविष्य से। मेरा जीवन एक सीधी रेखा पर रुक चुका है। जब मैं स्वयं को शीशे में देखता हूँ तो मुझे अपने जीवन से बेहद पछतावा होता है। इसे मैं न तो अपने दोस्तों से कह सकता हूँ, न अपने परिवार को, क्योंकि ये मेरी अंतरात्मा की समस्या है, मेरी भीतरी गमों का समस्या है।


मैं किसी को अपना दुःख समझा नहीं सकता। इसी वजह से एक-एक करके लोग मुझसे खफ़ा हो जा रहे हैं और साथ-साथ लोगों से रिश्ते खराब हो गए हैं। मुझे जीवन को शायद जीना नहीं आया। अब इस उम्र के पायदान पर सबकुछ त्याग देने की इच्छा हो रही। बहुत कुछ है परंतु कहने को कुछ नहीं। 

देखा जाए तो सब कुछ की समस्या एक ही है वह हूँ 'मैं'...!!!

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