She don't now

ओस से भीगें थे पहलू उन सायों के,
फ़ना न हो जाए यूँ गर तन्हाईयाँ मिलें,
भूल जाओ तुम फिर क्या हो उन वादों के...

कश्तियों की मंजिल भी होती है मुकम्मल,
मुसाफिरों के भी होते है दुरुस्त-ए-साहिल,
बेपनाह शिद्दत से जीते है जिनके लिए,
वही आज अपनों से रुख्सत हो लिए...

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