वो राते वो बाते 🚬

आज फिर बैठा था उन्ही पुरानी यादों के साथ... वही शाम, वही इयरफोन में हमारे favorite गाने... वही रूम... ना-ना रूम  वो नहीं... अब ये गली मोहल्ले का प्यार नसीब कहाँ, मैंने शहर जो बदल दिया... वो शहर जहाँ मैं अपने आप को ही छोड़ आया... अब जब भी वहाँ जाता हूँ तो वहाँ के सड़को पे ख़ुद को बिखरा हुआ पाता हूँ... मानो वो मुझसे कहती हो कि अब तो ले चलो अब कुछ नहीं है यहाँ...

 

मगर जो छूट जाए वो दोबारा हासिल कहाँ होता है... मैंने भी छोड़ दिया ख़ुद को वहीं... लोग सच कहते हैं कि वक्त बीत जाए तो लौट के नहीं आता... मगर हम दोनो ने कभी ये बात मानी ही कहाँ..? वैसे ये गलत भी नहीं था... किसे पता था कि ये बितने वाला वक्त इतनी जल्दी बीत जाएगा...

आज फिर से बैठा हूँ उन्हीं यादों के साथ कुछ हँसा रहीं है तो कुछ बहुत रूला भी रहीं है... हाँ बेशक तुमने कोई कसर नहीं छोड़ी थी मुझे रूलाने में, मगर तुम्हारी दी हुई हँसी भी ऐसी थी कि दुबारा मिली ही नहीं... खुश रहता हूँ... हँसता भी हूँ... मगर वो हँसी जो तुम्हारे साथ कि थी वो तो ना जाने कहाँ चली गई...

हाँ लोग अभी भी कायल हैं मेरी मुस्कान के, मगर वो हँसी अलग थी... फिर से बैठा हूँ तो बहुत गहराई तक अन्दर गया... तो लगता है कि हाँ तुमने गलत तो किया... मगर ऐसे तो तुम शुरू से थे, मैंने ही ठाना था कि मैं फिर भी तुम्हारे साथ रहूंगा, मैं हर बार मना लेता था, तो अब मैंने क्यों छोड़ दिया.? शायद मैं ही पीछे हट गया... अब लगता है कि बदले सिर्फ तुम नहीं, बदल मैं भी गया...

शायद इश्क में मर जाना ही इसकी सच्चाई है, मगर मैंने जीने का रास्ता चुन लिया, तो क्या मेरा इश्क झूठा हो गया..? तुम तो जानते हो ना की मैं कभी झूठ भी नहीं बोलता, तो झूठा इश्क कैसे कर सकता हूँ... मेरा इश्क झूठा नहीं था, बस मैंने तुम्हारे इश्क की सच्चाई जान ली थी... हाँ मैंने सब खत्म करने के बजाए एक नई शुरुआत कि ओर कदम बढ़ाने का सोचा है, अगर ये मुझे ग़लत साबित कर रहा है तो यही सही...

मैं सब खत्म करता भी तो किसके लिए..? तुम तो पहले ही आगे बढ़ चुके थे... हाँ अब बस इतना कहूँगा की
"सुनो अब किसी के साथ सिर्फ इश्क मुक़म्मल करने के वादे मत करना, उन्हे पूरा भी करना.."  क्योंकि ये अधूरा इश्क हमें कभी पूरा नहीं होने देता..!

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