Tari barrrat

ऐ दोसत वो रात दर्द और सितम की रात होगी,
जिस रात रुखसत उनकी बारात होगी,
उठ जाता हु मैं ये सोचकर नींद से अक्सर,
के एक गैर की बाहों में मेरी सारी कायनात होगी…..

हमे तो अब भी वो गुज़रा ज़माना
याद आता है, तुम्हे भी क्या
कभी कोई दीवाना याद आता है,
हवाए तेज़ थी बारिश भी थी
तूफान भी था लेकिन तेरा ऐसे
में भी वादा निभाना याद आता है.
अगर यूँ ही यह दिल सताता रहेगा,
तो इक दिन मेरा जी ही जाता रहेगा…
मई जाता हूँ दिल को तेरे पास छ्चोड़े,
यह मेरी याद तुझको दिलाता रहेगा.



Comments

Popular posts from this blog

मैं 🗿

समस्या 🦂

अंत करीब है