सफर


वो लम्हें जो मेरी ज़िंदगी के अनमोल पल बन गये,
वो लम्हें जो मेरे गुज़रे हुये कल बन गये,
काश इन लम्हों को मैं फिर से जी पाता,
वो लम्हें जो मेरी नम आँखो के जल बन गये.

आँखों में सपने और दिल में अरमान लिये,
एक सफ़र में चल पड़े बिना किसी का साथ लिये,
रास्ते में कुछ नये चेहरों से मुलाकात हो गई,
फिर तो वो ऐसे दोस्त बने जैसे एक रिश्ता हो उम्र भर के लिये.
वो लम्हें जो मुझे चाहने वाले मेरे दोस्त दे गये,
वो लम्हें जो ना भूला पाने वाले कुछ लोग दे गये.

इस सफ़र की शुरुआत हमने साथ की थी,
जान से प्यारे यारों के साथ कितनी सारी बात की थी,
ज़िंदगी के उन पलों को भी हमने साथ जिया था,
जिन पलों ने खुशी और गम दोनो से मुलाकात की थी.
वो लम्हें जो अब लौट के नहीं आ सकते,
वो लम्हें जहाँ हम चाह के भी नहीं जा सकते.

अपने यारों के दिल की बात हम बिना कहे जान लेते थे,
कौन पसंद है किसको ये थोड़े से झगड़े के बाद हम मान लेते थे,
कैंटीन और कैफ़े की पार्टियां तो रोज़ हुआ करती थी,
खूबसूरत लड़कियों को कॉल कर, ना जाने कितने नाम लिया करते थे.
वो लम्हें जो एक धुंधली याद बन गये,
वो लम्हें जो एक यादगार किताब बन गये.

कॉलेज आने का मन नहीं फिर भी कॉलेज आया करते थे,
कुछ लोगों को गर्ल फ्रेंड और बाकियों को टीचर बुलाया करते थे,
एग्जाम देने की तो जैसे आदत सी हो गई थी,
फिर रिज़ल्ट देख के कुछ रोते तो कुछ मुस्कुराया करते थे.

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