Nager
उसी पे नजर रखता हूं
मैं अपने दिल में सिर्फ उसी का घर रखता हूँ
यूँ तो ठिकाना नही है जिंदगी का मगर
फिर भी मैं हसीं ख़्वाबों का शजर रखता हूँ
मुझे देख कर झुका ले वो भी अपनी पलके,
मैं अपनी नजर में इतना तो असर रखता हूँ
हर रोज मर जाता हूँ देखकर जिंदगी की मुफ़लिसी
हर रोज मैं अपने मुँह में एक नया जहर रखता हूँ
कई मिलेंगे जहाँ में मोहब्बत करने वाले,
मैं भी उन्ही की तरह मोहब्बत के कुछ पहर रखता हूँ
अजीब सलीका सिखाया है इश्क़ ने मेरे दोस्त
गम तो है जिंदगी में, हंसी जुबान पे मगर रखता हूँ
भूलना भी चाहता हूँ सबब ए मोहब्बत मगर,
मैं उसकी तस्वीर से अपनी गुजर रखता हूँ
वक्त ने सिखाया जीने का सलीका
इस खातिर मैं अपनों की क़दर रखता हूँ
जहर या कहर में भी कैफ रखता हूँ
मैं इसीलिए उनकी भी खबर रखता हूँ
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thanks god blas you