मैं फिर आऊंगा
वो बन कर
जो तुम्हें अच्छा लगे
तुम्हारे पास रहे
मैं तुम्हारी पीर, तुम्हारा दर्द
तुम्हारा खालीपन समेट कर
जा रहा हूं जमीं के पार
कि इस बार
न मेरी जात अलग होगी
न मेरा रंग
न औकात
न जुबान
न हैसियत न शान
न रोज़गार की फिक्र
न होगा मेरी तकदीर की
नाका मियों का जिक्र
इस बार मैं तुम्हारे हालात में आऊंगा
अपनी औकात में आऊंगा तकलीफ की तहों से
निकाल लाऊंगा पूरी जिन्दगी तुम पे लुटाऊगा

#बिटटु

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