मेरी छोटी सी उम्र की कहानी

मेहनत से मिली जो शोहरत 
वो कभी लूटाई ना गयी
मुफ्त में मिल गयी जो कद्र
वो फिर कभी कमाई ना गयी

जिन्हें आजमाया वे ढह गयी
जिंदा है वो शख्शियत 
जो कभी आजमाई ना गयी

उल्फत में रस्मो का आलम कुछ यूँ रहा
कुछ तोड़ी ना गयी तो कुछ निभायी ना गयी

मैने लाख पूछा मगर वो खामोश ही रहा
कमी ही कुछ एेसी थी मुझमे कि बताई ना गयी

एक दिन मिला मुझे वो सड़क पर अजनबी की तरह
कोशिशे हजार की उसने मगर नजर चुराई ना गयी

मुस्कुरा देता हूँ मैं जब भी जिक्र होता है उसका
इक याद ऐसी है उसकी जो मुझसे कभी भूलाई ना गयी

गैरों की क्या रूसवाई करू अब
अपनी हीं कुछ आदते हैं जो मुझसे अपनाई ना गयी

सोचा था नफरत करूँगा ताउम्र उस शख्स से
मगर मोहब्बत थी दिल में ये बात मुझसे छुपाई ना गयी

उसने मना किया हमें बस एक मरतबा
दोबारा वो बात हमसे जुबां पर लाई ना गयी

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